पास कभी तुम रुकती नहीं...
झुकाती हो नज़रें ऐसे...
क्यूं मुझे तुम देखती नहीं...
सब कुछ समझती है आँखें मेरी...
होंठों से ना सही...
इशारों से भी तुम कुछ केहती नहीं...
होंठों से ना सही...
इशारों से भी तुम कुछ केहती नहीं...
बे-करार हूँ मैं तुम्हे सुनने को...
लफ़्ज़ों में नाम मेरा कभी तुम लेती नहीं...
लफ़्ज़ों में नाम मेरा कभी तुम लेती नहीं...
रुक रुक कर धड़कता है दिल मेरा...
आँखें जब ढूंढती तुम्हे यहाँ वहाँ से हर जहाँ...
आँखें जब ढूंढती तुम्हे यहाँ वहाँ से हर जहाँ...
जमीला-ए-चेहरा है या ख़्वाब कोई ये खूबसूरती तुम्हारी...
जी भर के देख न लू जब तक ये आँखें भी कम्बख्त रहती नहीं...
जी भर के देख न लू जब तक ये आँखें भी कम्बख्त रहती नहीं...
दूरियां जो बन सी गयी है दरमियान जो तेरे मेरे...
ये दरमियान ही है जो दूरिया अब सेहती नहीं...
...अविम...
aati ho nazdik mere...
paas kabhi tum rukhti nahi...
jhukaati ho nazrein aise...
kyun mujhe tum dekhti nahi...
sab kuch samajh ti hai aankhein meri...
hothon se na sahi...
ishaaron se bhi tum kuch kehti nahi...
be-karar hun mai tumhe sunne ko...
lafzon mein naam mera kabhi tum leti nahi...
ruk ruk kar dhadak ta hai dil mera...
aankhein jab dhundh ti tumhe yahan wahan se har jahan...
jameela-e-chehra hai yaa khwaab koi ye khoobsurati tumhari...
jee bhar ke dekh n lu jab tak ye aankhein bhi kambakht rehti nahi...
duriyaan jo ban si gayi hai darmiyaan jo tere mere...
ye darmiyaan hi hain jo duriya ab sehti nahi...
...Avim...
1 Comments
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