Shayari श्रृंखला 1


मैं  तुम्हे  चाहूंगा  कितना  तुम्हे  अंदाज़ा  नहीं...
मै  तुम्हारे  लिए  तड़पूँगा  कितना  तुम्हे  अंदाज़ा  नहीं... 
कभी  फुरसत  मिले  तो  आ  जाना  मेरी  मज़ार  पर...
एहसास  होगा  तुमको  तुम्हारे  साथ  हूँ  मैं  ज़मीन  के  अंदर  नहीं...


 

Mai  tumhe  chahunga  kitna tumhe  andazaa  nahi...


Mai  tumhare  liye  tadpunga  kitna 
Tumhe  andazaa  nahi...


Kabhi  fursat  mile  toh  aa  jaana 
Meri  majaar  par...


Ehsaas  hoga  tum  ko...
Tumhare  sath  hun  mai...
Zameen  ke  an-dar  nahi...


~Avim 

   
                                                            

ए  सुकून-ए-हमदम  दीदार  करा  मुझे  खुदा  का
चेहरा  दिखा  दे  अपना  थोड़ी  इबादत  करनी  है


aye  sukun-e-humdam  deedar  Kara  mujhe  khuda  ka...
chehra  dikha  de apna  thodi  ibaadat  karni  hai...





#Hussain | Imam Hussain | Muharram | Karbala | Youm-e-ashura | Hussain ibne Ali |  

 Mere  badan  par  bikhre  lahu  me  jaan  aayi...
 jab  Karbala  ki  zameen  se  Hussain  ki  awaaz  aayi... 

lalkaar  Yajeed  ko  mere  talwaar e lahu  ki...
pukara  jab  alaehi-salaam  ne  yalgaar  Karne  ki  subah  aayi...


मेरे बदन पर बिखरें लहू में जान आईं...ज़ब
कर्बला की ज़मीन से हुसैन की आवाज़ आईं...

ललकार यज़ीद को मेरे तलवार-ए-लहू की...
पुकारा जब अलैहिसलाम ने यलगार करने की सुबह आईं...


🙌...💖

मैं सुबह की सेहरी जैसे हूँ...
तुम इफ़्तार सी इंतेज़ार हो...




Mai subah ki sehri jaisa Hun...
Tum iftaar si intezaar ho...😉





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