मैं तुम्हे चाहूंगा कितना तुम्हे अंदाज़ा नहीं...
मै तुम्हारे लिए तड़पूँगा कितना तुम्हे अंदाज़ा नहीं...
कभी फुरसत मिले तो आ जाना मेरी मज़ार पर...
एहसास होगा तुमको तुम्हारे साथ हूँ मैं ज़मीन के अंदर नहीं...
Mai tumhe chahunga kitna tumhe andazaa nahi...
Mai tumhare liye tadpunga kitna
Tumhe andazaa nahi...
Kabhi fursat mile toh aa jaana
Meri majaar par...
Ehsaas hoga tum ko...
Tumhare sath hun mai...
Zameen ke an-dar nahi...
~Avim
ए सुकून-ए-हमदम दीदार करा मुझे खुदा का
चेहरा दिखा दे अपना थोड़ी इबादत करनी है
chehra dikha de apna thodi ibaadat karni hai...
#Hussain | Imam Hussain | Muharram | Karbala | Youm-e-ashura | Hussain ibne Ali |
Mere badan par bikhre lahu me jaan aayi...
jab Karbala ki zameen se Hussain ki awaaz aayi...
lalkaar Yajeed ko mere talwaar e lahu ki...
pukara jab alaehi-salaam ne yalgaar Karne ki subah aayi...
मेरे बदन पर बिखरें लहू में जान आईं...ज़ब
कर्बला की ज़मीन से हुसैन की आवाज़ आईं...
ललकार यज़ीद को मेरे तलवार-ए-लहू की...
पुकारा जब अलैहिसलाम ने यलगार करने की सुबह आईं...
🙌...💖
मैं सुबह की सेहरी जैसे हूँ...
तुम इफ़्तार सी इंतेज़ार हो...
2 Comments
Amazing poetry 😍
ReplyDeleteThank you...✌🧡
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