Shayari श्रुंखला 2
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नाज़ुक सा उसका हाथ पकड़ कर...
ज़रा सी मोहब्बत मैं भी कर लू...
बोहोत कर ली मोहब्बत...
आंखों से चेहरा देख कर...
वो रुख़सत क्या हुए दिल से...
सारा का सारा शहर बे-गाना सा हो गया...
जब थे मौजूद तो जहां थे मेरा फिर वोपल...
आ ही गया जब इश्क़ बे-वफ़ा सा हो ही गया...
Love shayari |
रुख़सत | Rukhsat = leave | here :- leaving
दिल ये तेरा सिर्फ पैकर है या...
कोई धड़कने वाला मासूम ये तय कर...
इतनी नफरत ना कर किसी से...
यूँ किसीके दिल में रेह कर...
पैकर | पै-कर | Paikar (an Urdu word) = shape, figure, form, appearance, Body |
लम्हे गुजर गए मेरी फितरत नहीं बदली,
मैंने उसके अफ़साने लिखे उसकी नफरत नहीं बदली
तहरीर मेरी आँखों ने की तो उसका चेहरा बना,
बा-वफ़ा मेरे दिल का उसके होठों से नाराज़ी नहीं बदली
बा-वफ़ा | Baa-wafa = faithful , loyal
आसमां कभी छत हो मेरी ये ख्वाईंश हो गईं...
भूल गया था इंसान हूँ मैं कोई पंछी नही...
जब ज़मीन से पैर उठाना मेरी भूल हो गईं...
प्यासी है प्यासी रहने दो...
आती है होंठो तक नज़दीक रहने दो...
जब होगा मन लबों से लब मिल जाएँगे...
तब तक आँखों मे आँखें रहने दो...
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