एक तेरे ही चेहरे को | Shayari - Hindi Kavita latest |

                                  एक तेरे ही चेहरे को...




बे-खबर ये दिल अब सो नही पाता...
बे-चैन इस कदर इंतेज़ार में तेरे अब ठीक से रो नही पाता...


मंज़िल तू मेरी,
उसी जगह पर तेरे इंतेज़ार में हूं...
जहां मुलाक़ात होती थी हमारी...


करवट ने रुख ऐसा मोड़ा ही क्यूँ...
अब ठीक से जी नही पाता...
जुदाई तेरे प्यार की मैं सेह नही पाता...


तू तो दिल है मेरा,
बिन तेरे ठीक से मैं धड़क नही पाता...
तेरी बाहों में तो घर है मेरा...
इस दुनिया मे अब रेह नही पाता...


बिन पता तेरे,
अब भी तुझे तलाश ता हूं...
तुझे जितने की उम्मीद है...
...इंशाअल्लाह...


जब भी यहां से निकलता हूं...
हर तरफ से गुज़रता हूं...


एक तेरे ही चेहरे को मैं हज़ारो पर्दों में ढूंढ़ता हूं...

एक तेरे ही चेहरे को मैं हज़ारो पर्दों में ढूंढ़ता हूं...




Avim 


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2 Comments

  1. Replies
    1. Thank you so much... 🙌
      Please do share with your friends and loved ones.

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