आप हो जाए मुख़ातिब ख़ुद से
आप हो जाए मुख़ातिब ख़ुद से...
हम तो अपनी ही नज़रों में गिरे हुए है...
किस ख़ुदा से शिकायत करे...
हम ने ही दर्द बनाया था अब उस में घिरे हुए है...
जिस तरफ़ से दरारे हो गयी थी...
यादों के नाज़ुक धागों से दिल सिले हुए है...
पल में कोई , दूजे पल में कोई और...
दिल मे आज भी है कुछ अपनेे पराए हुए है...
राहे भी न देखी बस चलते रहे थे...
इश्क़ की कतारों में दिल ग़म-ए-लबेज़ हुए है...
होश में थे नही मगर बेहोश भी न थे...
जितने भी देखे लोग मैं ने सब सर फिरे हुए है...
आप हो जाए मुख़ातिब ख़ुद से...
हम तो अपनी ही नज़रों में गिरे हुए है...
~Avim
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